अंक: October 2014
 
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भारत निर्माता के प्रति
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अग्र लेख

परिवहन क्षेत्रः आर्थिक पक्ष

जगन्नाथ कश्यप 


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Articles
  अधिकतम शासनः ई-शासन के माध्यम से जनपहुंच
रंजीत मेहता
  भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत रक्षा सेवाओं, आर्थिक नियोजन, राष्ट्रीय जनगणना, चुनाव, कर संग्रह, आदि के लिए कम्प्यूटरीकरण पर जोर के साथ 1960 के दशक के अंत में
  किसानों का कल्याणः वर्तमान परिदृश्य
जे पी मिश्र
  कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का विशालतम क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 में समग्र सकल मूल्य वर्धन में
  योगः आधुनिक जीवनशैली व अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता
ईश्वर वी बासवरेड्डी
  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इलाज में चिकित्सा के प्राचीन प्रणालियों को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने सु
  योग साधकों का मूल्यांकन एवं प्रमाणन
रवि पी सिंह&bsp; मनीष पांडे
  योग संस्थानों के प्रमाणन की योजना उन मूलभूत नियमों में सामंजस्य बिठाने की दिशा में उठाया कदम है,
  योगः स्वस्थ व तनावमुक्त जीवन का संतुलन
ईश्वर एन आचार&bsp; राजीव रस्तोगी
  आज की व्यस्त जीवनशैली में अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख पाना एक जटिल कार्य हो गया है लेकिन
हरित परिवहन के साथ भविष्य की यात्रा
ृष्ण देव
  परिवहन वैश्विक जलवायु परिवर्तन में बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। यह जीवाश्म ईंधन के दहन से विश्व भर में होने वाले कुल कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन का लगभग 23 प्रतिशत है। इस कुल कार्बन डाइ आक्साइड उत्सर्जन में से सड़क परिवहन 75 प्रतिशत है और यह दिनों दिन बढ़ ही रहा है। कुल 95 प्रतिशत सड़क परिवहन तेल पर निर्भर है। यह विश्व की कुल तेल खपत का 60 प्रतिशत है। ये सभी कारक सरकारों पर ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और तेल की मांग कम करने के लिए नीतियां बनाने का दबाव डालते हैं

       परिवहन का प्रभाव आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक आयामों पर है। आर्थिक कुशलता को अक्सर उपयोगकर्ता की यात्रा के कम समय के रूप में मापा जाता है और वह ही बेहतर परिवहन का मुख्य उद्देश्य है। हालांकि परिवहन ऊर्जा के प्रयोग, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और वायु प्रदूषण के आधार पर ही पर्यावरण को प्रभावित करता है। परिवहन सामाजिक समेकन को प्रोत्साहित कर (कम कर) और सुरक्षा जैसे अन्य संबंधित लाभों को उत्पन्न कर सामाजिक आयामों को प्रभावित कर सकता है।

  आजादी के बाद यह पहला मौका है जब सरकार 101 राष्ट्रीय जलमार्गों की घोषणा की दिशा में आगे बढ़ गई है। संसद में इस बाबत विधेयक प्रस्तुत किया जा चुका है। विधेयक की पड़ताल संसद की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी संसदीय समिति कर रही है। चूंकि भारत के सभी राजनीतिक दलों में जलमार्गों के विकास को लेकर आम सहमति है और संसदीय समिति खुद लगातार इसकी पैरोकारी करती रही है, इस नाते इस विधेयक को पास होने में कोई दिक्कत नहीं आनी है। सरकार अगले पांच वर्षों में जलमार्गों के विकास पर 50 हजार करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि खर्च करके एक मजबूत ढांचा खड़ा करने की तैयारी में है। केंद्र सरकार की योजना है कि आगामी एक दशक में जल परिवहन के क्षेत्र में निजी क्षेत्रा को आगे करते हुए पांच लाख करोड़ रुपये तक का निवेश हो जाए। भारत सरकार एक एकीकृत राष्ट्रीय जलमार्ग परिवहन ग्रिड की स्थापना की दिशा में भी आगे बढ़ रही है। इसके तहत 4503 किमी जलमार्गों के विकास की योजना है। इस परियोजना के पूरा होने पर सड़क तथा रेल से काफी माल परिवहन अंतर्देशीय जलमार्गों की ओर मोड़ने में सफलता मिल सकेगी। केंद्रीय सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री इस मामले को लेकर सरकार बनने के बाद से ही सक्रिय हैं। उनका कहना है कि परियोजना के लिए धन की कमी नहीं होगी।

  पर्यावरणीय स्थिरता के लिए बढ़ती चिंता 'स्थायी परिवहन और हरित परिवहन के प्रति अधिक ध्यान आकर्षित करती है। सरल शब्दों में पैदल चलने और अन्य बेमोटर माध्यमों के अतिरिक्त अधिकतर परिवहन माध्यम हरित या संवहनीय नहीं है। अधिकतर परिवहन किसी न किसी प्रकार के जीवाश्म का प्रयोग करते हैं और वे इसे आने वाले समय में करते रहेंगे। आधुनिक शहरी रेल प्रणाली विद्युत का प्रयोग करती है जो कि पूरी ही तरह से जीवाश्म ईंधन से बनी होती है।

 
 
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