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आंतरिक जल परिवहनः चुनौतियां व संभावनाएं
अरविंद कुमार सिंह
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सरकार ने अंतर्देीय जल परिवहन के विकास की दिशा में जो ठोस पहल की है, वे अगर जमीन पर उतरती हैं तो यह भविष्य के लिहाज से मील का पत्थर साबित होंगी लेकिन योजनाकारों को बहुत सावधानी से काम करने और प्राकृतिक पथ के संरक्षण की दिशा में लगातार सक्रिय रहने की जरूरत होगी। साथ ही जलयानों की कमी को दूर करने के लिए एक ठोस योजना और नया माहौल भी बनाना होगा। ऐसा करने से इस क्षेत्र के कायाकल्प को कोई रोक नहीं सकता है.
जलमार्गों को प्राकृतिक पथ कहा जाता है। क्योंकि इसे आदमी ने नहीं प्रकृति ने बनाया है। यही प्राकृतिक पथ कभी हमारी परिवहन की जीवन रेखा हुआ करता था लेकिन समय के साथ आए बदलावों और परिवहन के आधुनिक साधनों के चलते बीती एक सदी में यह क्षेत्र बेहद उपेक्षित होता चला गया। हालांकि भारत के पास 14500 किमी जलमार्ग है और हमें तमाम विशाल सदानीरा नदियों, झीलों और बैकवाटर्स का उपहार भी मिला है लेकिन हम इसका उपयोग नहीं कर सके और समय के साथ इनकी क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई। शक्तिशाली नदियों की नौवहन क्षमता तक प्रभावित हो गई। इस क्षेत्र में जो निवेश होना था और जो नए साजो-सामान आने थे वे नहीं आ सके लेकिन पहली बार प्रधानमंत्री वर्तमान की पहल पर भारत के जलमार्गों का विकास सरकार के खास एजेंडे पर हैं। तमाम नई विकास परियोजनाएं आरंभ करते हुए कायाकल्प की योजना को जमीन पर उतारने की तैयारी में हैं। अगर ऐसा होता है तो परिवहन क्षेत्र में एक क्रांति देखने को मिलेगी और भारी दबाव से जूझ रहे सड़क और रेल परिवहन तंत्र को भी काफी राहत मिलेगी।
आजादी के बाद यह पहला मौका है जब सरकार 101 राष्ट्रीय जलमार्गों की घोषणा की दिशा में आगे बढ़ गई है। संसद में इस बाबत विधेयक प्रस्तुत किया जा चुका है। विधेयक की पड़ताल संसद की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी संसदीय समिति कर रही है। चूंकि भारत के सभी राजनीतिक दलों में जलमार्गों के विकास को लेकर आम सहमति है और संसदीय समिति खुद लगातार इसकी पैरोकारी करती रही है, इस नाते इस विधेयक को पास होने में कोई दिक्कत नहीं आनी है। सरकार अगले पांच वर्षों में जलमार्गों के विकास पर 50 हजार करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि खर्च करके एक मजबूत ढांचा खड़ा करने की तैयारी में है। केंद्र सरकार की योजना है कि आगामी एक दशक में जल परिवहन के क्षेत्र में निजी क्षेत्रा को आगे करते हुए पांच लाख करोड़ रुपये तक का निवेश हो जाए। भारत सरकार एक एकीकृत राष्ट्रीय जलमार्ग परिवहन ग्रिड की स्थापना की दिशा में भी आगे बढ़ रही है। इसके तहत 4503 किमी जलमार्गों के विकास की योजना है। इस परियोजना के पूरा होने पर सड़क तथा रेल से काफी माल परिवहन अंतर्देशीय जलमार्गों की ओर मोड़ने में सफलता मिल सकेगी। केंद्रीय सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री इस मामले को लेकर सरकार बनने के बाद से ही सक्रिय हैं। उनका कहना है कि परियोजना के लिए धन की कमी नहीं होगी। |
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