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DETAIL STORY
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विकलांगजनों का सामाजिक समावेशनः मुद्दे और रणनीतियां
संध्या लिमये
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विकलांगजनों को सशक्त बनाने के लिए और उन्हें नागरिक के रूप में अपनी जिम्मेदारियों (घर में, समाज में और कार्यस्थल पर) के निर्वहन के लिए अवसर प्रदान करने हेतु बाधाओं को दूर किया जाना बहुत जरूरी है। अब समय आ गया है कि निर्भरता और निम्न आशा की संस्कृति का अंत हो और एक ऐसे समाज की ओर कदम बढ़ाया जाया, जिसमें हम विकलांग लोगों के लिए सहयोगपूर्ण नजरिया रखें, उन्हें भागीदार और समोवशी बनाने के लिए उनको सशक्त करें और समर्थन दें
सामाजिक समावेश, जो कि सामाजिक बहिष्कार के विपरीत है यह उन परिस्थितियों और आदतों को बदलने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो सामाजिक बहिष्कार का नेतृत्व करते हैं अथवा जिन्होंने पहले ऐसा किया है। विश्व बैंक सामाजिक समावेश को पहचान के आधार पर वंचित लोगों के लिए सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु उनकी क्षमता, अवसर और गरिमा में सुधार की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित करता है।
वैश्विक स्तर पर विकलांग व्यक्तियों का समूह सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूहों में से एक है, जो उपेक्षा, अभाव, अलगाव और बहिष्कार का सामना कर रहा है। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में ज्यादातर देशों ने विकलांग (पीडब्ल्यूडी) व्यक्तियों को कुछ विशेष सहायता प्रदान किए हैं। इसके तहत मानव अधिकारों के दृष्टिकोण से सरकारी और गैर-सरकारी प्रयासों के माध्यम से उनके लिए दान और संस्थागत देखभाल से लेकर उपचार और पुनर्वास तक की व्यवस्था की गई है। भारत की आजादी के बाद भारत सरकार ने बड़ी संख्या में हाशिए पर खड़े इस जनसमूह के प्रति अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की और विकलांग लोगों के कल्याण और पुनर्वास के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम तैयार किए हैं। |
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झरोखा जम्मू कश्मीर का : कश्मीर में रोमांचकारी
पर्यटन
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जम्मू-कश्मीर विविधताओं और बहुलताओं का घर
है| फुर्सत के पल गुजारने के अनेक तरकीबें यहाँ हर आयु वर्ग के लोगों के लिए बेशुमार
है| इसलिए अगर आप ऐडवेंचर टूरिस्म या स्पोर्ट अथवा रोमांचकारी पर्यटन में रूचि रखते
हैं तो जम्मू-कश्मीर के हर इलाके में आपके लिए कुछ न कुछ है.
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