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विकलांगता व कौशल विकास
शांति राघवन
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विकलांगजनों के लिए सहायक तकनीकी यंत्रों के विकास पर केंद्रित इस आलेख में बताया गया है कि तकनीक पर आधारित नए मंच क्रांतिकारी परिवर्तक साबित हो सकते हैं और विकलांगों का कौशल विकास कर उन्हें उज्ज्वल भविष्य दे सकते हैं। लेखक के अनुसार मेक इन इंडिया को तभी कामयाबी मिलेगी जब चेंज इन इंडिया होगा] जिसमें समाज का हर वर्ग शामिल होगा। विकलांग इस बदलाव के अगुआ होंगे।
प्रौद्योगिकी सहायता के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे कुछ विकलांगजनों का उदाहरण दते हुए बताया गया है कि वे कैसे विकलांगता से लड़ने का नया नजरिया पेश कर रहे हैं। कौशल हासिल कर नौकरी पाने वाले ये लोग किसी दूसरे व्यक्ति की तरह ही काम करते हैं कर चुकाते हैं और अपने परिवार का ख्याल रखते हैं और ये एक सामान्य समाज का हिस्सा हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि भारत को जो महान बनाता है वे यहां के लोग हैं जिनमें विकलांगता, गरीबी और भेदभाव जैसी चुनौतियों से उबरने की क्षमता है।
मंजूनाथ एक छोटी-सी कंपनी में निरीक्षक हैं और उनकी टीम में 15 लोग हैं, जो कपड़ा मशीन के कलपुर्जों के साथ काम करते हैं। इस काम में गुणवत्ता काफी अहम है क्योंकि ग्राहक के माल लेने से इनकार करने का सीधा मतलब व्यापार में नुकसान हो सकता है। प्रधानमंत्री की योजना मेक इन इंडिया मंजूनाथ जैसे लोगों पर निर्भर करती है। जो बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों की डिलीवरी करते हैं। मंजूनाथ एक ऐसे शख्स हैं, जिनकी नजर कमजोर है और उनकी टीम में अलग-अलग तरह के लोग हैं, जिनमें से कुछ विकलांग भी हैं।
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झरोखा जम्मू कश्मीर का : कश्मीर में रोमांचकारी
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