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भारत में पर्यटन विकासः चुनौतियां व संभावनाएं
कंचन शर्मा |
भारत जैसे सांस्कृतिक, भौगोलिक विविधता वाले देश में पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। हालांकि इस रास्ते में समस्याएं भी कम नहीं हैं लेकिन ईमानदार प्रयास किए जाएं तो उन पर पार पाना कोई मुश्किल नहीं। हाल में राष्ट्रीय पर्यटन नीति ने जहां इस क्षेत्र में विकास के विविध फलकों को छुआ है वहीं विभिन्न सामाजिक संगठनों से लेकर कारपोरेट जगत तक की उत्साही भागीदारी ने उम्मीदों की नयी रोशनी फैलाई है। फिलहाल, वक्त आ गया है कि देश में पर्यटन की असीम संभावनाओं को भुनाने के लिए इसके विभिन्न अंशधारक एकजुट होकर समेकित प्रयास करें।
भारत अपनी रंग-बिरंगी विविधताओं के कारण हमेशा से ही पर्यटकों का पसंदीदा स्थान रहा है। झरनों व नदियों से भरपूर प्राकृतिक खूबसूरती, अनेक तरह के पारंपरिक मेलों, खूबसूरत सामानों से सजे बाजार, विभिन्न मसालों से महकते भोजन, सदियों का इतिहास बताती ऐतिहासिक इमारतें, कहीं नदी का किनारा तो कहीं समुद्र की लहरें आदि अनेक ऐसे खूबसूरत पहलू हैं जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पर्यटन की दृष्टि से भारत के पास विशाल प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति है। भारत के मनोरम दृश्यों की प्रशंसा करते हुए मैक्स मुलर ने कहा कि यदि हमें संपूर्ण विश्व में किसी ऐसे देश कि खोज करनी हो जिसमें प्रकृति की सर्वाधिक संपदा, शक्ति और सौंदर्य निहित हो और जिसके कुछ भाग तो वस्तुतः धरती पर स्वर्ग हों तो मैं भारत का नाम लूंगा। मैक्स मुलर के शब्द यह प्रदर्शित करते हैं कि भारत के पास वह अद्भुत खजाना है जो शायद किसी अन्य देश के पास होना मुश्किल है। इस संदर्भ में यह आवश्यक हो जाता है कि हम इस अद्भुत विशेषता को अपनी शक्ति संवर्धन के रूप में बढ़ावा दें।
भारत के आर्थिक विकास के साथ पर्यटन के संबंधों पर दृष्टि डालें तो यह उभरकर आता है कि पर्यटन क्षेत्र का प्रत्यक्ष योगदान देश के सकल घरेलू उत्पाद में 3.7 प्रतिशत है, जबकि कुल प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष योगदान 6.8 प्रतिशत है। देश के रोजगार में पर्यटन क्षेत्रा का प्रत्यक्ष योगदान 4.4 प्रतिशत है, जबकि कुल प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष योगदान 10.2 प्रतिशत है। पिछले तीन दशकों में देश में पर्यटन में भारी वृद्धि हुई है। वर्ष 2002 के मुकाबले वर्ष 2003-04 में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में 13.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। विश्व-पर्यटन में भारत का हिस्सा वर्ष 2004 में 0.44 प्रतिशत था, जबकि 2005 में यह 0.49 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2005 में 25,172 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा इससे अर्जित की गई जबकि वर्ष 2004 में 21,828 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित की गई थी। पर्यटन देश के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण कारक है। पर्यटन क्षेत्र के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि दुनिया के करीब डेढ़ सौ देशों में विदेशी मुद्रा की कमाई करने वाले पांच प्रमुख क्षेत्रों में पर्यटन भी एक है। |
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