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राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम: भावी रूपरेखा
स्वदेश सिंह |
यांत्रिक युग में जब आज अधिकांश दैनिक कार्यकलाप यंत्राधारित हो चले हैं तो इन यंत्राधारित कार्यों और उनका संचालन करने वाले यंत्रों के बेहतर परिचालन के लिए निश्चित रूप से कुशल हाथों की आवश्यकता होगी। यह कुशलता यांत्रिक भी हो सकती है और यंत्रोतर भी। किंतु दोनों ही परिस्थितियों में यह अर्थव्यवस्था की बेहतरी का अनिवार्य उपकरण है। ऐसे में, कौशल विकास कार्यक्रम की उपादेयता स्वतः स्पष्ट हो जाती है। वर्तमान सरकार अपने आरंभ से ही कौशल विकास को प्रधानता दे रही है और अब कौशल विकास को एक अलग कार्य के रूप में न देखकर हर मंत्रालय/विभाग के कार्यकलाप में कौशल विकास का अंश देखा जा रहा है।
भारत विश्व के उन युवा देशों में से एक है, जहां 25 वर्ष से कम आयु के लोगों की संख्या कुल आबादी की 54 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया के साथ स्किल इंडिया के बेहतरीन समन्वय की जरूरत पर बल दिया है इसके बावजूद हमारे संभावित श्रमिकों की संख्या के 5 प्रतिशत से भी कम लोगों के पास ऐसा कौशल प्रशिक्षण है जो रोजगार पाने के योग्य हैं और रोजगार में हैं। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि स्किल इंडिया कार्यक्रम तभी सफल होगा, जब यह कार्यक्रम मेक इन इंडिया कार्यक्रम के साथ तालमेल बैठाकर काम करेगा। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए योजना की भी घोषणा की।
वित्त मंत्री के बजट भाषण से स्पष्ट है कि भारत सरकार अब देश के विकास में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कौशल विकास पर विचार कर रही है। जहां वित्त मंत्री ने कुशल भारत कार्यक्रम के साथ एक समन्वय बनाने की मांग की है, वहीं भारत सरकार के चार अन्य प्रमुख कार्यक्रमों- डिजिटल भारत, स्मार्ट सिटी, स्वच्छ भारत और स्वच्छ गंगा-में भी लाखों लोगों के कुशल हाथों की जरूरत है।
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