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DETAIL STORY
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. विकास के संवाहक हैं शहर
ईशर अहलूवालिया
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हम स्मार्ट सिटीज को परिभाषित करें तो एक ऐसा शहर जहां के बाशिंदों को बेहतर शासन प्रणाली
चाहिए और बेहतर प्रशासन या उच्च तकनीक के जरिए सरकार पारदर्शी और जवाबदेह बेहतर गुणवत्ता
वाली सेवाएं मुहैया कराएगी। तब स्मार्ट सिटीज का काम उच्च तकनीक वाले बुनियादी योजना
के जरिए संस्थागत सुधार को बढ़ावा देना होगा। इसमें कोई शक नहीं है कि हमारे संघीय शासन
में शहरों पर आर्थिक और राजनीतिक दबाव के बावजूद हालात आज से बेहतर रहेंगे लेकिन हमारे
शहरों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए हमें उस राजनीतिक माहौल में सुधार करने की जरूरत
है जिसमें हमारे शहर काम करते हैं
भारतीय शहरों में जन सुविधाओं की बहुत कमी है। इसका असर न सिर्फ कुल जनसंख्या के 33
फीसदी या देश की शहरी आबादी के जीवन स्तर पर पड़ता है बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के
तेज, स्थायी और समग्र विकास के लिए जरूरी निवेश का माहौल भी प्रभावित होता है। पिछले
कुछ समय से भारतीय शहरों के अमीर और मध्यम वर्ग सार्वजनिक सेवाओं में कमी की समस्या
से निपटने के लिए निजी बाशार आधारित उपायों की मदद ले रहे हैं वहीं, अपने गुजर-बसर
के लिए गरीबों को भी मजबूरन बाशार पर निर्भर रहना पड़ रहा है। फिलहाल भारतीय शहरों और
कस्बों में 42 करोड़ लोग रहते हैं और इनमें से सिर्फ आधे लोगों को ही पानी और सफाई जैसी
बुनियादी सुविधाएं ठीक से मिल पा रही हैं। अनुमान है कि 2031 तक शहरों की जनसंख्या
बढ़कर 60 करोड़ हो जाएगी। इतनी बड़ी आबादी को जन सुविधाएं मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती
है और इसकी अनदेखी करके हम खुद को जोखिम में डाल रहे हैं। इसके अलावा अगर शहरों को
तेज आर्थिक विकास के लिए निवेश जुटाना है तो शहरों में जीवन की गुणवत्ता में बड़े पैमाने
पर सुधार करना होगा।
भारत में विकास के मौजूदा चरण में शहरों को विकास का इंजन बनाने की जरूरत है। शहरों
के आसपास औद्योगिक विकास की जरूरत है ताकि सेवाओं को समर्थन मिल सके और यह सिर्फ शहरों
में ही मुमकिन है। ग्रामीण इलाकों की किस्मत भी शहरीकरण की गुणवत्ता से जुड़ी हुई है
क्योंकि खेती में प्रति व्यक्ति आय तभी बढ़ सकती है जब लोग कृषि से निकलकर उद्योग और
सेवा क्षेत्रों में ‘ज्यादा उत्पादकता’ वाला काम करेंगे। यह बदलाव नवीनीकरण और उद्योग
के लिए अनुकुल वातावरण मुहैया कराने की शहरों की क्षमता पर निर्भर करता है, जिससे रोजगार
के मौके बनते हैं। यह खासतौर पर काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की कुल आबादी में
काम करने लायक लोगों का हिस्सा बढ़ रहा है और 2040 तक यह और भी ज्यादा हो जाएगा। यहां
तक कि उसके बाद भी इसमें बहुत मामूली गिरावट आने की उम्मीद है।।
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झरोखा जम्मू कश्मीर का : कश्मीर में रोमांचकारी
पर्यटन
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जम्मू-कश्मीर विविधताओं और बहुलताओं का घर
है| फुर्सत के पल गुजारने के अनेक तरकीबें यहाँ हर आयु वर्ग के लोगों के लिए बेशुमार
है| इसलिए अगर आप ऐडवेंचर टूरिस्म या स्पोर्ट अथवा रोमांचकारी पर्यटन में रूचि रखते
हैं तो जम्मू-कश्मीर के हर इलाके में आपके लिए कुछ न कुछ है.
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