अंक: October 2014
 
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पृष्ठ कथा 
भारत निर्माता के प्रति
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अग्र लेख

परिवहन क्षेत्रः आर्थिक पक्ष

जगन्नाथ कश्यप 


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Articles
  अधिकतम शासनः ई-शासन के माध्यम से जनपहुंच
रंजीत मेहता
  भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत रक्षा सेवाओं, आर्थिक नियोजन, राष्ट्रीय जनगणना, चुनाव, कर संग्रह, आदि के लिए कम्प्यूटरीकरण पर जोर के साथ 1960 के दशक के अंत में
  किसानों का कल्याणः वर्तमान परिदृश्य
जे पी मिश्र
  कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का विशालतम क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 में समग्र सकल मूल्य वर्धन में
  योगः आधुनिक जीवनशैली व अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता
ईश्वर वी बासवरेड्डी
  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इलाज में चिकित्सा के प्राचीन प्रणालियों को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने सु
  योग साधकों का मूल्यांकन एवं प्रमाणन
रवि पी सिंह&bsp; मनीष पांडे
  योग संस्थानों के प्रमाणन की योजना उन मूलभूत नियमों में सामंजस्य बिठाने की दिशा में उठाया कदम है,
  योगः स्वस्थ व तनावमुक्त जीवन का संतुलन
ईश्वर एन आचार&bsp; राजीव रस्तोगी
  आज की व्यस्त जीवनशैली में अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख पाना एक जटिल कार्य हो गया है लेकिन
भारत में विधिक सहायता तथा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की भूमिका
- मनोज कुमार सिन्हा
कानूनी सहायता कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण और जिला प्राधिकरण अन्य सरकारी तथा गैर-सरकारी एजेंसियों तथा विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय में कार्य कर रहे हैं। कानूनी सेवा प्राधिकारी अधिनियम, 1987 की धारा 12 में योग्य व्यक्तियों को कानूनी सेवा देने का मानदंड विहित है। कानूनी सेवा प्राधिकारी किसी आवेदक की योग्यता मानदंड की जांच करने तथा प्रथमदृष्ट्या स्थिति उसके पक्ष में होने पर राज्य के खर्च पर उसे वकील प्रदान करते हैं और मामले से जुड़े घटनाक्रमों के लिए समस्त खर्च का वहन करते हैं

न्याय प्राप्त करना आधारभूत मानव अधिकारों में से एक है और बिना इसकी समझ के बहुत सारे मानव अधिकार केवल कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय नियम पत्र की धारा 14.3 डी में कहा गया है किः ‘‘किसी व्यक्ति को उसकी उपस्थिति में सुनवाई का अधिकार, और स्वयं को व्यक्तिगत रूप से या अपने पसंद की कानूनी मदद से सुरक्षित करना, यदि उसके पास इस अधिकार के लिए कानूनी सहायता नहीं है, तो उसे सूचित किया जाना और किसी मामले में आवश्यकता पड़ने की दशा में, और किसी ऐसे मामले में जिसमें उसके पास कीमत चुकाने के लिए प्रर्याप्त साधन नहीं हों तो मुफ्त में उसे प्रदान की गई कानूनी सहायता प्राप्त करना आवश्यक है।’’

 
 
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