अंक: October 2014
 
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संपादकीय
 
 
  अधिकतम शासनः ई-शासन के माध्यम से जनपहुंच
रंजीत मेहता
  भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत रक्षा सेवाओं, आर्थिक नियोजन, राष्ट्रीय जनगणना, चुनाव, कर संग्रह, आदि के लिए कम्प्यूटरीकरण पर जोर के साथ 1960 के दशक के अंत में
  किसानों का कल्याणः वर्तमान परिदृश्य
जे पी मिश्र
  कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का विशालतम क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 में समग्र सकल मूल्य वर्धन में
  योगः आधुनिक जीवनशैली व अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता
ईश्वर वी बासवरेड्डी
  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इलाज में चिकित्सा के प्राचीन प्रणालियों को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने सु
  योग साधकों का मूल्यांकन एवं प्रमाणन
रवि पी सिंह&bsp; मनीष पांडे
  योग संस्थानों के प्रमाणन की योजना उन मूलभूत नियमों में सामंजस्य बिठाने की दिशा में उठाया कदम है,
  योगः स्वस्थ व तनावमुक्त जीवन का संतुलन
ईश्वर एन आचार&bsp; राजीव रस्तोगी
  आज की व्यस्त जीवनशैली में अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख पाना एक जटिल कार्य हो गया है लेकिन
अग्र लेख

परिवहन क्षेत्रः आर्थिक पक्ष

जगन्नाथ कश्यप 


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भारत निर्माता के प्रति
सबेरे सबेरे दरवाज़े की घंटी बजती है। अखबार वाला अखबार फेंकते हुए तेज़ी से निकल जाता है । हम जल्दी जल्दी तयार और अपने अपने कार्यालय , कारखाने या दुकान जाने के लिए रिक्शा, ऑटो या बस पकड़ने निकल जाते हैं । कार्यस्थल पर पहुंचकर हम पाते हैं कि चौकीदार सम्मानपूर्वक कार्यस्थल सुरक्षा में लगा सफाईकर्मी भी अपने कार्यों का बखूबी रहे हैं । एक ठेठ सरकारी कार्यालय में हम अपने साथ करने वाले निजी स्टाफ और सहयोगियों से मिलते हैं । इन सभी तरह से कामगारों, अखबारवाला, ऑटो ड्राइवर , रिक्शेवाला , चौकीदार , अर्दलियों, सफाईकर्मियों, कंप्यूटर संचालकों के बीच एक समानता है और वह है इन सभी का असंगठित क्षेत्र से संबंध होना । सही मायने में , चाहे वह संबंधित हो या फिर जीवन से जुड़ा कोई पक्ष हो , असंगठित क्षेत्र हमारी सबसे बड़ी सचाई है । हालांकि अपनी संरचना में बहुआयामी इस सेक्टर के महत्व को हम नज़रअंदाज़ करते हैं और कमतर आंकते हैं ।

असंगठित क्षत्र की अवधारणा घाना में कार्यरत ब्रटिश मानववैज्ञानिक कीथ हार्ट के अध्ध्य्यन से निकली है । इसके बाद 1970 के दशक में में आईएलओ ने इस अवधारणा में सम्मानीय कार्य का अवयव समाहित किया और फिर काम के अधिकार , कार्य करने वालों के अधिकार , श्रम संगठनों और सामाजिक सुरक्षा के अधिकार भी इस अवधारणा के साथ संलग्न होते गए लेकिन कुछ विद्वानों ने स्पष्ट किया कि 'असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्र' की अवधारणा को सिर्फ आरती क्षेत्र तक ही सीमित रखना ठीक नहीं है । सामाजिक और सांस्कृतिक पर यह अवधारणा अपने निहितार्थ में अत्यंत व्यापक है । इसका केवल आर्थिक विश्लेषण समाज के अंदर व्याप्त 'अनौपचारिक' वास्तविकता के एक महत्वपूर्ण दायरे की अनदेखी करता है ।

 
 
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