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अधिकतम शासनः ई-शासन के माध्यम से जनपहुंच
रंजीत मेहता
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भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत रक्षा सेवाओं, आर्थिक नियोजन, राष्ट्रीय जनगणना, चुनाव, कर संग्रह, आदि के लिए कम्प्यूटरीकरण पर जोर के साथ 1960 के दशक के अंत में
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किसानों का कल्याणः वर्तमान परिदृश्य
जे पी मिश्र
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कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का विशालतम क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 में समग्र सकल मूल्य वर्धन में
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योगः आधुनिक जीवनशैली व अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता
ईश्वर वी बासवरेड्डी
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इलाज में चिकित्सा के प्राचीन प्रणालियों को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने सु
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योग साधकों का मूल्यांकन एवं प्रमाणन
रवि पी सिंह&bsp; मनीष पांडे
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योग संस्थानों के प्रमाणन की योजना उन मूलभूत नियमों में सामंजस्य बिठाने की दिशा में उठाया कदम है,
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योगः स्वस्थ व तनावमुक्त जीवन का संतुलन
ईश्वर एन आचार&bsp; राजीव रस्तोगी
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आज की व्यस्त जीवनशैली में अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख पाना एक जटिल कार्य हो गया है लेकिन
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संपादकीय
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प्रगति पथ पर राष्ट्र
किसी राष्ट्र के विकास पर आर्थिक, सामाजिक, मानव संसाधन, पर्यावरण जैसे विभिन्न कारकों का प्रभाव पड़ता है, जो एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इनमें से प्रत्येक मानदंड स्वयं में महत्वपूर्ण है। इन कारकों के अलग-अलग मिश्रण के कारण अधिकतर विकासशील देशों के सामने विकास से जुड़ी अलग-अलग चुनौतियां खड़ी होती हैं। आर्थिक विकास और सामाजिक विकास साथ-साथ होते हैं। कृषि, उद्योग, व्यापार, परिवहन, सिंचाई, ऊर्जा संसाधन आदि में सुधार से आर्थिक सुधार के संकेत मिलते हैं और स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, पेयजल आदि में सुधार की प्रक्रिया सामाजिक सुधार की दिशा में इंगित करती है। दोनों ही प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनता की वित्तीय स्थिति से संबंधित हैं।
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सशक्तीकरण से संवृद्धि
चरण सिंह
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भारत की गिनती दुनिया में सबसे तेजी से विकास कर रहे देशों में होती है। कोई भी विकास तब तक अधूरा है जब तक समाज के हर वर्ग तक उसका लाभांश पहुंच न जाए। उसी को ध्यान में रखकर समाज के हर वर्ग के वित्तीय समावेशन के लिए अनेकानेक कदम उठा रही है। कृषक, छात्र, उद्यमी, कारोबारी आदि सभी को एक समान वित्तीय मंच पर लाने का यह प्रयास अभी शुरुआत पर है परंतु संकेत अच्छे दिख रहे हैं।
मई 2014 के बाद से केंद्र सरकार देश को सबल बनाने और विकास दर को 9 प्रतिशत से अधिक करने का प्रयास कर रही है। इसके बाद सरकार ने अनेक घोषणाएं कीं जिनके केंद्र में विकासोन्मुखी नीतियों के माध्यम से विकास की उच्च दर प्राप्त करना था। लगभग आठ शताब्दियों तक विदेशी शासन के अंतर्गत भारत ने संसाधनों के अभाव और आर्थिक विकास
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Ministry of I&B
Publications Division
Employment News
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